कविता/ वर्षगांठ : साल 2021 की विदाई पर एक प्रासंगिक कविता
✍️ सुधांशु पांडे “निराला” प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) चलो गिरा दे दो बूंद आंसू साल की विदाई है। वक्त ऐसा गुजरा जैसे पटरी से रेल, सीखा गया चलो नए ढ़ंग का खेल, जीवन में कहीं प्रसन्नता कहीं उदासी,की कणाई है। हर…
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