स्वास्थ्य/ प्रीमैच्योर शिशु होने पर लापरवाही बरतने से बचें : विशेषज्ञ

पंचकुला/मोहाली : शिशु रोग विशेषज्ञ डा सन्नी नरूला ने बताया कि खानपान रहन-सहन सही न होने संक्रमण ,खून की कमी ,उच्च रक्तचाप ,हाई ग्रेड फीवर आदि के कारण प्री-मैच्योर डिलीवरी की संख्या बढ़ रही है। डॉ सनी नरूला व डॉ सौरभ कपुर ने बताया कि खानपान, रहन-सहन सही न होने, संक्रमण, खून की कमी, उच्च रक्तचाप, हाई ग्रेड फीवर आदि के कारण प्री-मैच्योर डिलीवरी की संख्या बढ़ रही है। अस्पताल में अमुमन प्री-मैच्योर डिलीवरी संपन्न करायी जा रही है। अधिकांश नवजातों का वजन डेड़ किलोग्राम या इससे कम होता है।सांस लेने में तकलीफ होने के कारण नवजात को आक्सीजन लगानी पड़ती है, निओ नेटल आई सी यू में रखना पड़ता है , कई कम्प्लीकेशन्स होती रहती हैं ।

ट्राइसिटी में शायद पहली बार ऐसे ही दो जटिल मामलों में ईश्वरीय कृपा से आंतों में पांच छेद ( नेक्रोटाइजिंग इंटेरोकोलाइटिस) वाले सातवें महीने में प्री मेच्योर दो शिशुओं को गहन सर्जरी ,वेंटिलेटर स्पोर्ट, नियोनेटल आई सी यु में डॉ सनी नरूला व डॉ सौरभ कपूर की टीम ने नीकु आन व्हील्स की मदद से अस्पताल लाकर दो महीने की कठिन दिन रात की देखभाल से शिशुओं की बचाई जान , डॉ सनी नरूला का कहना है कि यदि प्रीमेच्योर डिलवरी हो तो हमें मदरहुड जैसे नजदीकी नियोनेटल आई सी यु वाले सेंटर में जाना चाहिए ताकि बच्चे को सामान्य वजन तक आने का समय चिकित्सा देखरेख में रखकर उन्हें बचाया जा सके।

More From Author

You May Also Like