कविता/ स्वर्गीय ब्रजभूषण प्रसाद (पिताजी) के प्रति समर्पित

✍️ संजय कुमार अम्बष्ठ, पटना

 

त्याग भरा जीवन महान था
समाज वास्ते जीना उनका काम था
चेहरे पर हमेशा खुशी का भाव था
जीवन के प्रति उनका बङा लगाव था।

खुशियों सबों में बाँटते थे
गम को केवल वो पीते थे
गम में भी खुश रहते थे
सहर्ष गम को वो झेलते थे।

नौकरी बाईस को दिये
बदले में गम को पीये
मिलनसार, सादगी, शीलता महान था
उत्साहपूर्ण जीवन उनका बेलगाम था।

आर्थिक तंग वो रहते थे
आर्थिक मदद फिरभीलोगोंकोकरते थें
श्राद्ध, विवाह, जीविका वास्ते खङे थे
छलकाशिकार वोअंततोगत्वा बनतेथे।

क्रोध, घमंड, ईर्ष्या को न संगीन बनाये
जीवन को हमेशा रंगीन बनाये ।
सर्व गुण के साथज्योतिषकाअच्छाज्ञानथा
केवल ब्रज भूषण प्रसाद उनका नाम था।

जाति, संप्रदायवाद के कट्टर दुश्मन थे
पीड़ित,शोषितकेपरम शुभचिंतक थे
20अक्तूबर,01 को देहावसान हो गया
मरकर भी अमर उनका नाम हो गया।

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