कविता/ कोरोना के कहर से बचाने हेतु कविता “हे प्रभु”

✍️ बबली मीरा, जमशेदपुर

हे प्रभु

हे प्रभु क्या कहें आपसे
आप सब कुछ जानते हैं।
इतनी सुन्दर जिन्दगी दिया
बचाए आपको ही रखना है।
जो भी गलती हुई हम सब से
माफ आपको ही करना है।

हे प्रभु क्या…

हर सुबह एक सगा संबंधी,
एक साथी बिछड़ रहा ।
बिलख रहा है बाल बच्चा,
परिवार सबका बिखर रहा।
कौन किसको सम्हाले प्रभु,
समझ में न अब आ रहा।

हे प्रभु क्या…

आपने ही प्राण वायु ऑक्सीजन दिया
अब क्यों ऑक्सीजन कम हो रहा।
सारे जगत में हाहाकार मचा,
अपटी खेत में प्राण जा रहा।
एक आप पर ही भरोसा प्रभु,
दूजा कोई न काम आ रहा।

हे प्रभु क्या…

मनुष्य, मनुष्य के पास
जा नहीं सकते
ये क्या हो गया प्रभु ।
जो घटनाएं घट चुकी
ओ भुलाना संभव नहीं प्रभु।
मोबाइल छुने में भी डर लगता ,
और अपनों के खोने की खबर
पढ़ने, सुनने की शक्ति नहीं।

अश्रु नयन लिए लिख रही “मीरा”
आके सबको बचा लिजिये प्रभु।
सबको बचा लिजिये प्रभु ।
बचा लिजिये प्रभु ।

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