अररिया/ संतमत संत स्वामी शुकदेवानंद महाराज की 18वीं पुण्यस्मृति में संतमत सत्संग का किया गया आयोजन

✍️ अंकित सिंह, भरगामा (अररिया)

सबसे श्रेष्ठ होता है माता-पिता की सेवा : प्रमोद बाबा

भरगामा (अररिया) : प्रखंड क्षेत्र के कुशमौल पंचायत में संतमत संत स्वामी शुकदेवानंद महाराज की 18वीं पुण्यस्मृति में शनिवार को संतमत सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सत्संग में अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी प्रमोद बाबा और सत्यप्रकाश बाबा ने अपने अमृतवाणी से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वामी प्रमोद बाबा ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए माता-पिता और गुरु की सेवा पर बल दिया और कहा कि इन्हीं के चरणों की सेवा से सबकुछ संभव है। उन्होंने हर इंसान को झूठ, नशा, हिंसा, चोरी, व्यभिचार ये पांच पापों से दूर रहने को कहा। उन्होंने प्रवचन के दौरान भजन भी प्रस्तुत किए तथा उनकी व्याख्या करते हुए जीवन का रहस्य समझाने का प्रयास भी किया। उन्होंने समझाया कि मानव जीवन बड़े भाग्य से मिलता है तथा एक मात्र मानव जीवन हीं एक ऐसी योनि है,जिसमें प्राणी मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि मानव जैसा कर्म करता है वैसा हीं उसको फल भोगना पड़ता है। बुरे कर्म करने वाला प्राणी मृत्यु के उपरांत वापस 84 लाख योनियों में चला जाता है। अच्छे कर्म करने वाले प्राणी को एक बार फिर से मानव योनि की प्राप्ति होती है। जो प्राणी सद्कर्म करते हुए सत्संग, योग, यज्ञ, दान, ध्यान करते हैं, उनका संसार में कल्याण होता है।

वहीं सत्यप्रकाश बाबा ने अपने प्रवचन में कहा कि माता- पिता की सेवा करना सबसे श्रेष्ठ काम है। जो लोग माता-पिता की सेवा करते हैं, वह जीवन भर सुखी रहते हैं। उन्होंने कहा कि वतर्मान समय के लोग माता-पिता को भूलते जा रहे हैं। लेकिन जीवन में वह व्यक्ति भाग्यशाली हैं, जिनके माता-पिता आज भी जीवित हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं भगवान राम को भी मानव शरीर में आने के बाद दुख भोगना पड़ा था। भगवान राम ने अपने माता-पिता के आदेश का पालन करते हुए 14 साल वनवास में बिताये। आज मनुष्य अपने माता-पिता को सम्मान नहीं देते हैं, जिसके कारण मनुष्य को दुख भोगना पड़ता है। सत्संग तथा प्रवचन के श्रवण से मनुष्य में परमात्मा से मिलन की चाह जगती है। उन्होंने कहा कि सत्संग सुनने मात्र से मनुष्य को सन्मार्ग पर चलने की सीख मिलती है। सत्य स्थिर एवं अविचल है। जबकि असत्य अस्थिर तथा नाशवान है। मानव को सत्य मार्ग पर हमेशा चलना चाहिए। आजकल लोग क्षणिक सुख के पीछे भागते हैं।

इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में पूर्व प्रमुख दिव्य प्रकाश यादवेंदु, प्रकाश झा, रौशन झा आदि सक्रिय भूमिका में दिखे।

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